स्वामी विवेकानंद की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकें

कर्मयोग,
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विवेकानंद के अनुसार कर्म योग क्या है?
विवेकानन्द कहते हैं कि बिना किसी निजी स्वार्थ के लोकोपकार के लिए अपना कर्तव्य सर्वश्रेष्ठ तरीक़े से करना ही कर्म योग है।

विवेकानंद ने कौन सा योग किया था?
उन्होंने राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग आदि योग पद्धतियों के द्वारा जनसामान्य एवं खासतौर पर युवाओं में अध्यात्म एवं योग के प्रति समर्पण की भावना को जागरूक किया।

स्वामी विवेकानंद के अनुसार ध्यान कैसे करें?
कुछ विशेष शब्दों, पुष्पों, प्रतिमाओं, मंदिरों, ज्योतियों को घुमाने के समान अनुष्ठानों- आरतियों- का उपयोग मन को उस अभिवृत्ति में लाता है, पर वह अभिवृत्ति तो सदा मनुष्य की आत्मा में है, कहीं बाहर नहीं। लोग यह कर रहे हैं; पर वे जो अनजाने कर रहे हैं, उसे तुम जान-बूझकर करो। यही ध्यान की शक्ति है।

कर्म योग के कितने प्रकार है?
सकाम कर्म - स्वयं के लाभ के लिए कर्म

निष्काम कर्म - स्वार्थहीनता वाले कर्म

भक्तियोग,

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विवेकानंद के अनुसार भक्ति योग क्या है?

भक्तियोग का एक बड़ा लाभ यह है कि वह हमारे चरम लक्ष्य (ईश्वर) की प्राप्ति का सब से सरल और स्वाभाविक मार्ग है। पर साथ ही उससे एक विशेष भय की आशंका यह है कि वह अपनी निम्न या गौणी अवस्था में मनुष्य को बहुधा भयानक मतान्ध और कट्टर बना देता है।

भक्ति योग से आप क्या समझते हैं?

हिन्दू धर्म में भक्ति योग से आशय अपने इष्ट देवता में अनुराग रख कर आन्तरिक विकास करने से है। भजन कीर्तन व सत्संग करना। इसे 'भक्ति मार्ग' भी कहते हैं। यह उन तीन मार्गों में से एक है, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

भक्ति योग कितने प्रकार के होते हैं?
भक्ति योग के प्रकार
नवधा भक्ति नवधा भक्ति, भक्ति योग का बड़ा महत्वपूर्ण पक्ष है। नौ प्रकार से भगवान की भक्ति की जाती है।
रागात्मिका भक्ति जब नवधा भक्ति अपनी चरम अवस्था में होती है तब रागात्मिका भक्ति की शुरूवात होती है। .
पराभक्ति पराभक्ति रागात्मिका भक्ति की चरम अवस्था है।

राजयोग
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विवेकानंद के अनुसार राज योग क्या है?

जब तक कोई बात स्वयं प्रत्यक्ष न कर सको, तब तक उस पर विश्वास न करो–राजयोग यही शिक्षा देता है। सत्य को प्रतिष्ठित करने के लिए अन्य किसी सहायता की आवश्यकता नहीं।" स्वामी विवेकानंद का मत है कि योग का अनुशीलन भी ज्ञान की भाँति व्यवस्थित तरीक़े से होना चाहिए और इसमें तर्कशीलता का अवलम्बन करना चाहिए।

राजयोग क्या है समझाइए?

राजयोग सभी योगों का राजा कहलाता है क्योंकि इसमें read more प्रत्येक प्रकार के योग की कुछ न कुछ समामिग्री अवष्य मिल जाती है। राजयोग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है। राजयोग का विषय चित्तवृत्तियों का निरोध करना है।

राज योग कितने प्रकार के होते हैं?
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ज्योतिष के अनुसार 32 प्रकार के राजयोग माने जाते हैं, और ये सभी 32 योग एक साथ किसी की भी कुंडली में मिलते नहीं हैं, और अकर किसी में मिल जाय तो जातक चक्रवर्ती विश्व विजयी राजा होता ही होता हैं ।

राजयोग कैसे प्राप्त करें?

कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें घर में और गुरु तीसरे घर में स्थित होने पर राजयोग बनता है। इस योग को लेकर पैदा हुआ व्यक्ति राजा के समान होता है। यह अपने समाज में प्रसिद्धि प्राप्त करता है और धन संपन्न होता है। इस तरह कुंडली के पांचवें घर में बुध और दसवें घर में चंद्रमा होने पर राजयोग का फल प्राप्त होता है।

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